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झारखंड चुनाव 2024: कांटे की टक्कर और बड़े उलटफेर

झारखंड विधानसभा चुनाव की मतगणना अब रोमांचक मोड़ पर है। राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से आ रहे नतीजे दिलचस्प राजनीतिक समीकरणों को उजागर कर रहे हैं। इस बार मतदाताओं ने कई दिग्गज नेताओं को कड़ी चुनौती दी है, और कई सीटों पर छोटे मार्जिन से आगे बढ़त ने मुकाबले को और रोचक बना दिया है।

अब तक के नतीजों में गोमिया सीट से JMM के योगेंद्र प्रसाद ने 36,093 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की है। वहीं, चाईबासा में दीपक बिरुआ (JMM) ने BJP की गीता बालमुचू को 64,835 वोटों से हराकर सबसे बड़े अंतर वाली जीत दर्ज की। इसी तरह, लोहरदगा से रामेश्वर उरांव (INC) ने 34,670 वोटों के अंतर से अपनी जीत सुनिश्चित की।

दूसरी ओर, सिमरिया, दुमका और हुसैनाबाद जैसी सीटों पर JMM और BJP के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला। सिमरिया में कुमार उज्जवल ने JMM के मनोज कुमार चंद्रा को 4,001 वोटों से हराया, जबकि दुमका में बसंत सोरेन ने BJP के सुनील सोरेन को 14,588 वोटों से हराकर अपनी सीट बरकरार रखी।

गढ़वा और पलामू में कड़े मुकाबले

गढ़वा और पलामू जिलों की सीटों पर इस बार के नतीजे कई मायनों में खास रहे। गढ़वा विधानसभा सीट पर BJP के सत्येंद्र नाथ तिवारी ने JMM के मिथिलेश कुमार ठाकुर को 19,278 वोटों से पीछे छोड़कर सीट पर अपना कब्जा बनाए रखा। वहीं, भवनाथपुर सीट पर अनंत प्रताप देव ने BJP के भानु प्रताप शाही को 21,462 वोटों से हराकर बड़ा उलटफेर किया।

बिश्रामपुर सीट पर भी BJP को झटका लगा, जहां नरेश प्रसाद सिंह ने रामचंद्र चंद्रवंशी को 14,455 वोटों से हराकर अपनी जीत दर्ज की। यह सीट BJP के लिए अहम मानी जा रही थी, और यहां हार पार्टी के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है। इसके विपरीत, डाल्टनगंज में BJP के आलोक कुमार चौरसिया ने कांग्रेस के कृष्णा नंद त्रिपाठी को 4,070 वोटों से हराकर सीट अपने पास रखी।

झारखंड के मतदाताओं का संदेश

इस बार के नतीजे यह साफ दिखाते हैं कि झारखंड के मतदाताओं ने क्षेत्रीय और स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देते हुए अपना फैसला सुनाया है। गढ़वा और पलामू जिलों में विकास के वादे और क्षेत्रीय दलों की सक्रियता ने पारंपरिक राजनीति को चुनौती दी है। भवनाथपुर और बिश्रामपुर जैसी सीटों पर BJP का कमजोर प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि मतदाता अब नतीजों के आधार पर नेताओं को परख रहे हैं।

छतरपुर और पांकी जैसे क्षेत्रों में BJP ने अपनी पकड़ बनाए रखी है, लेकिन निर्दलीय और छोटे दलों ने कई जगहों पर बड़े दलों को कड़ी टक्कर दी है। दूसरी ओर, JMM और कांग्रेस ने पलामू क्षेत्र में भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, जो आने वाले चुनावों के लिए उनके लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है।

आगे के लिए क्या संदेश?

गढ़वा और पलामू के नतीजे यह दिखाते हैं कि आने वाले दिनों में हर राजनीतिक दल को जमीनी मुद्दों पर अधिक काम करना होगा। मतदाताओं ने विकास, बेरोजगारी, और बुनियादी सुविधाओं को प्राथमिकता दी है। इन नतीजों से स्पष्ट है कि झारखंड में राजनीति अब सिर्फ पार्टी के नाम पर नहीं बल्कि नेताओं की परफॉर्मेंस पर केंद्रित हो गई है।

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